Thursday, March 13, 2014

दाग दरबारी ...........


कुछ समय पहले हम सभी टेलीविजन में चल रहे विज्ञापन से काफी प्रभावित हो रहे थे.याद होगा आप सभी को लोकप्रिय विज्ञापन सर्फ एक्सेल का............. जिसकी टैग लाइन थी. "दाग अच्छे है..." अब इस विज्ञापन से आजकल लगता है. हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टीयां भी प्रभावित हो गयी है.......जो अब तक भ्रष्टाचार, और घोटालों से दूर रहने और दागियों को टिकट ना देने का राग अलाप रहे थे. वो भी अब अपने राग को भूल कर नए गीत को अपना रहे है....... "दाग अच्छे है"............ क्यों ना हो आखिर चुनावी बयार का आलम है. जहाँ जीत से बढ़कर कुछ और मंज़ूर नहीं, इस लिए देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने दागियों को टिकट देकर अपने लक्ष्य की ओर एक और कदम बढाया है.जिनमे प्रमुख नामों में रलवे भर्ती घोटाले में लिप्त पुर्व केन्द्रीय रेल मंत्री पवन बंसल, वही बीजेपी ने भी बी श्रीरामुलु को टिकट देकर एक बार फिर घोटालों और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों से दोस्ताना निभाया है. क्योंकि इस चुनावी महासंग्राम को जीतने के लिए सारे तरीके अपनाने में कैसा परहेज़........ भले ही वो हमारी बेदाग छवि पर असर क्यों ना डाल दे.आगे देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस महासमर में और क्या क्या नए युद्ध कौशल देखने मिलते है............

Friday, March 7, 2014

पाक मित्रता की मिसाल.........



हमारे पड़ोसी मुल्क में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी किनारे अघोर पर्वत पर मां हिंगलाज भवानी मंदिर है। यह क्षेत्र पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर है।

कहा जाता है कि जब सतयुग में देवी सती ने अपना शरीर अग्निकुंड में समर्पित कर दिया था, तो भगवान शिव ने सती के जले शरीर को लेकर तांडव किया और फिर भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के जले शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया था।

माना जाता है कि सती के शरीर का पहला टुकड़ा यानि सिर का एक हिस्सा यहीं अघोर पर्वत पर गिरा था। जिसे हिंगलाज व हिंगुला भी कहा जाता है यह स्थान कोटारी शक्तिपीठ के तौर पर भी जाना जाता है। बाकी शरीर के टुकड़े हिंदुस्तान के विभिन्न हिस्सों में गिरे,जो बाद में शक्तिपीठ कहलाए।

यह मंदिर बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से 120 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट के ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में हिंगलाज में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यहां सती माता के शव को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर यहां उनका ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था।इस मंदिर को 'नानी का मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।

कहते हैं कि हिंगलाज मंदिर को इंसानों ने नहीं बनाया। यहां पहाड़ी गुफा में देवी मस्तिष्क रूप में विराजमान हैं। यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद अच्छा माना जाता है। 51 शक्तिपीठों में हिंगलाज पहला शक्तिपीठ माना गया है। शास्त्रों में इस शक्तिपीठ को आग्नेय तीर्थ कहा गया है।

दुनिया का सबसे बड़ा कीचड़ ज्वालामुखी
मंदिर से कुछ ही दूरी पर दुनिया का सबसे बड़ा कीचड़ वाला ज्वालामुखी भी है। चैत्र नवरात्र में यहां एक महीने तक काफी बड़ा मेला लगता है। मंदिर की खास बात यह भी है कि पहले कभी इस मंदिर के पुजारी मुस्लिम हुआ करते थे।
हालांकि पुजारी अभी भी मुस्लिम ही है यह मंदिर पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल्य देश में धर्मनिरपेक्षता की मिशाल कायम किए

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