Thursday, October 20, 2011

सौंदर्य प्रसाधन या रंगभेद बढ़ाने के नए हथियार

 हमारे समाज में स्त्रियों को अपना सम्मान बनाये  रखने के लिए हमेशा ही अत्यधिक प्रयासरत रहना पड़ता है क्योंकि उन्हें इस के लिए अनेक मापदंडों की कसौटी पर परखा जाता है.आज समाज में भलेहि नारी को पुरुषों के बराबर हक़ मिलने की बात चल रही है लेकिन इसके बाद भी नारी को तो परीक्षा देना ही पड़ रहा है.इन मापदंडों में योग्यता के साथ कई और ऐसे बिंदु भी हैं जो किसी के भी व्यक्तित्व का मूल्यांकन कर उसके बारे में पुरुषों को राय बनाने का अवसर देते हैं.पर क्या इस मापदंड का आधार सुंदरता से जोड़ना सही है?  यह तो हम सभी जानते है कि सुंदरता का सम्बन्ध रंगरूप से भी है तभी तो   गोरे होने से मार्केट डिमांड से लेकर नौकरी मिलने में भी आसानी हो जाती है. तमाम देशी-विदेश कंपनियों ने विज्ञापन जगत कि मदद से गोरेपन की क्रीम और मोटापा कम करने की दवाइयों को लाकर महिलाओं को दिग्भ्रमित कर दिया है.फेयरनेस क्रीम के बाद अब बारी है गोरा करने वाले फेसवाश की, पिम्पल दूर करने क्रीम , पिगमेंट(दाग-धब्बे) हटानेवाली क्रीम की जो त्वचा के रंग को हल्का करने का दावा करती हैं.इन 'प्रोडक्ट' की दीवानगी इन दिनों सर चढ़कर बोल रही है.उत्पादक इन्हें बेचने के लिए अनोखे तरीके अपनाने में लगे है .अब इन में फेस पर ग्लो यानि चमकदार चेहरा भी जुड गया है.                     इन उत्पादों में हल्दी और केसर जैसे प्राकृतिक संसाधनों  के इस्तेमाल ने इनके प्रति लगाव बढ़ा दिया है क्योंकि यह तत्त्व प्राचीनकाल से ही रंगत बढ़ाने में मददगार रहे है.बहरहाल किसी की किस्मत का फैसला उसकी त्वचा के रंग के आधार पर होना जहाँ तक सही है? जिसका रंग सांवला है वो अच्छी नौकरी की हकदार नहीं है,यह कहाँ तक तर्कसंगत है. हम कुछ विज्ञापनों में देख रहे है कि फेयरनेस क्रीम लगाने के बाद ही दोस्त बनते है. हमारे देश में जाति-वर्ण भेद तो पहले से ही हैं अब रंगभेद को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.  समाज भले ही प्रगति कर रहा हो लेकिन इन वज़हों से अंतर भी आ रहा है. मैं यह मानती हूँ कि गोरे रंग का महत्त्व जितना है उतना ही महत्त्व सांवले रंग को दिया जाना चाहिए.हम क्यों सांवले रंग को अपमान या शर्मिंदगी से जोड़ कर देखते है हमें व्यक्ति का आंकलन उसकी बाहरी सुंदरता की बजाये आंतरिक सुंदरता और व्यक्तित्व की खूबियों से करना चाहिए.वैसे भी बाहरी सुंदरता को तो क्रीमों से बढ़ा सकते है पर  आंतरिक सुंदरता तो हर व्यक्ति को अपने परिश्रम से हासिल होती है इसलिए हमें गोरे या सांवले को आंकलन का तरीका न बनाकर पूर्ण रूप से पूरे व्यक्तित्व के आंकलन को सर्वोपरि मानना चाहिए.                                                                आज समाज को अपनी सोच को बदलने का समय है अगर हम गौर करें तो जो आकर्षण गोरे रंग में है उससे ज्यादा गरिमा सांवले रंग में होती है. इसे हम केवल दबी-कुचली जातियों  का रंग न मान कर एक मूल्यवान पारम्परिक विशिष्टता मानना चाहिए.हम सभी जानते हैं कि हमारे इष्ट देवों में अधिकतर सांवले रंग के देवता है जो हमारे लिए प्रेरणास्रोत है इसलिए सांवले रंग का होना भी उतना ही जरुरी है. जिस तरह जल और हवा हमारे जीवन के आवश्यक तत्व है.हर सिक्के के दो पहलु होते हैं और वैसे भी पार्वती जी को ताम्बई रंग का माना जाता है,सीताजी का जन्म प्रथ्वी से हुआ तो उनका रंग तो धरती जैसा ही था ,इस सत्यता को लोग भुला बैठे है और भेडचाल की तरह सफ़ेदी के पीछे भाग रहे हैं.आज जिन्हें खूबसूरत कहा जाता है वो फायदे उठाते है.जिन्हें नहीं कहा जाता वे हीन भावना से ग्रस्त हो जाते है.मेरा मानना है कि गोरी या काली त्वचा से कुछ नहीं होता.त्वचा चमकदार और हेल्दी होने पर कोई भी खूबसूरत दिख सकता है.इसके अलावा फेयरनेस प्रोडक्ट को अपनाने से पहले यह भी पता कर ले कि वे नुकसानदेह तो नहीं हैं क्योंकि कुछ प्रोडक्ट मेलानिन पिगमेंट के सिंथोसिस को ब्लाक कर देते है.हायड्रोकीनोन का लगातार प्रयोग हाइपो पिगमेंटेशन के अलावा त्वचा कैंसर का कारण भी बन सकता है. यह भी याद रखना चाहिए कि एक ही प्रोडक्ट हर त्वचा को सूट नहीं कर सकता.इस लिए हमें अपने रंगरूप से ज्यादा अपनी सोच,विचार,आदत,भावनाओं,ज्ञानवर्धन अपनापन,प्यार, आदर सम्मान को महत्व देना चाहिए क्योंकि यह रंगरूप तो चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात इस कहावत को पूरा करता है जब तक यह है तब तक सब हमारे लिए सब अनुकूल है पर बाद में प्रतिकूल भी हो सकता है.इसलिए खुद पर आत्मविश्वास, आत्मनियंत्रण,आत्मआंकलन आत्मसम्मान के साथ अपने जीवन को प्रगति के पथ पर अग्रसर करना चाहिए क्या पता ईश्वर ने हमारे लिए कौन से अदभुत संसार को रचा रखा हो और गोरे होने के चक्कर में आप उससे वंचित रह जाये इस लिए खुद को अपने उसी संसार को पाने की ओर आगे बढ़ाये जो ईश्वर  ने रचा है....!                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       

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