मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

चुरीसिद्दू

ये शब्द पढ़कर आप सभी को कुछ हेरानी हो रही होगी कि ये क्या माज़रा है, क्या ये किसी का नाम है क्या ये किसी स्थान के लिए उपयोग में लाया गया है या किसी की  परम्परा का उदाहरण है ये किसी फसल का नाम है या ये किसी स्थान में पाई जाने वाली जड़ी बूटी है मुझे पता है आप ने जो भी अंदाज लगाये होंगे वो इस शीर्षक के आसपास भी नहीं होंगे जाहिर है आपको ये लग रहा होगा में ऐसे कोनसा  शीर्षक है जो आप की सोच से परे है,तो एक बात आपको बताऊँ नाम से वैसे ये एक क्रिकेटर का नाम भी लग सकता है याद आया चिर परिचित भारतीय बल्लेबाज और शानदार कमेन्टेटर नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में तो कोई आर्टिकल नहीं लिख रही जिस वजह से मैने ये शीर्षक बनाया पर ये भी बात नहीं है दरअसल आज मैंने आपको एक अलग ही दुनिया की सैर का मूड बनाया जहा आप सभी इस चटपटी और मिठास से परिपूर्ण सैर के बाद आप अवश्य ही मुझे धन्यवाद दोगे अब आप के दिमाग में आएगा कि में तो सिद्धू जी  बात करते करते कहा चटपटी और मीठी  सैर को बीच में ले आई यकीन मानिए यही सच है ये शीर्षक वाकई दो व्यंजनों से मिलकर बना है दो व्यंजनों से मिलकर ये सिददूचुरी कैसे बना.


तो अब आप के सारे अटकलों को विराम देते हुए में राज़ खोलती हु कि ये एक नाम नहीं है ये दो व्यंजनों को मिलाकर बना एक शब्द है जिसने आपके दिमाग की काफी कसरत करवा दी. ये हिमाचल प्रदेश में शिमला में लोकप्रिय दो व्यंजन है.एक सिड्ड ,दूसरा है चुरी,ये दोनों ही वहाँ लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ रहे जी आप ने सही पढ़ा सिड्ड जिसे हम देसी बाटी का एक अनोखा रूप कहेंगे क्योंकि जब वो आपके आँखों के सामने आएगा तो आपको यही लगेगा जेसे आपके सामने बाटी  घी और चटनी के साथ परोसा गया है पर ये भी है हमारे यहाँ तो बाटी  दाल भरते के साथ परोसते है, फिर ये कैसी  बाटी जो चटनी के साथ क्यों परोस रहे जी हां ये सिड्ड गेंहू और मैदा से बनते है ये एक प्रकार की नमकीन और मीठी रोटी का ही रूप है. इनको भरवा तौर पर बनाया जाता है नमकीन सिड्ड साबुतधनिया,हरीमिर्च,लहसुनकलियाँ,खसखस,अमचुर,जीरा पाउडर ड्राई यीस्ट पाउडर से बनाया जाता है.इसी तरह  मीठे सिड्ड में काजू,बादाम,सूरजमुखी के बीज,तरबूज के बीज,किशमिशअलसी,सफ़ेद तिल,और नारियल को उपयोग करते है.इन दोनों तरह सिड्ड को शुद्ध घी के साथ परोसा जाता है,और नमकीन सिददू को शुद्ध घी के साथ  हरी धनिया की चटनी पेश करते है, तो ये सिड्डआपके स्वाद में एक नयापन लाते है सिड्ड सर्दियों के मौसम में एक सर्वप्रिय नाश्ते के तौर पर भी जाना जाता है ये स्थानीय निवासियों से ज्यादा सैलानियों  को रुचिकर लग रहा है.

अब बात करे चुरी की जो एक मीठी डिश  के तौर पर प्रचलित है सिड्ड नमकीन और मीठी दोनों ही रोटी का रूप है वही चुरी रोटी से ही बनी हुई डिश है,जिसमें गेहू का आटा,शुद्ध घी और शक्कर या गुड कुछ भी ले सकते है,इसमें रोटी में घी,गुड या शक्कर मिलाकर उसकी चुरी बनाकर फिर उसमे ड्राई फ्रूट भी डाल सकते जिनसे इसका स्वाद और भी स्वादिष्ट हो जाता है.इन दो के अलावा भी हिमाचलप्रदेश में और भी डिशेज फेमस है,जिनमे बाबरु,अकतोरी,तुद्किया भात,कुल्लू ट्राउट,भे,धाम,मदरा,छागोश्त,मिट्ठा,काले चने का खाटा शामिल है. वैसे तो हिमाचल को देव भूमि कहा जाता है.और जहा देवता खुद वास करते हो वहा के खानपान में विविधता और स्वाद के साथ साथ देवों की कृपा भी मिली होती है.यानिकि इस देव भूमि के हर कोने में आपको एक नया स्वाद नयी रेसेपी के साथ नए अनुभव का संगम देखने को मिलेगा. 



गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

ज़िग जैग जीवन


ये शब्द पढ़कर आप सभी के मन में ये विचार आ रहा होगा कि ये कैसा जीवन क्या ये जीवन की चिंताओं, परेशानियों और दुखों के साथ आने वाले कष्टों के लिए लिखा गया है,तो ऐसा नहीं है मेरा इस शीर्षक से आप सभी को जीवन में ज़िगजैग मस्ती मज़ा और एक मस्तमौला व्यक्तित्वों की ओर संकेत है। जी हां मैं अपने शिमला ट्रिप की अगली श्रृंखला से अवगत कराना चाहती हु,जहां पर आप पहाड़ी मौसम,पहाड़ी खानपान, पहाड़ी सौंदर्य और पहाड़ी लोगों,पहाड़ी रास्तों से  रूबरू हो पाएंगे।

आज के जीवन में जहां सभी का जीवन रोज रोज नए नए तरह के अनिश्चितताओं का भंडार है, जहां हर कोई अपनी ही चिंताओं को सर्वोपरि रखने में व्यस्त हैं,वहां अगर आप शिमला की वादियों में भ्रमण करेंगे तो आप इन सभी को भूलकर नए अनुभव और नई ऊर्जा को महसूस करेंगे। जैसे आप सभी जानते है पहाड़ी प्रदेश होने के कारण यहां के रास्ते घुमावदार और खड़ी चढ़ाई वाले होते हैं, पर यहां के इन रास्तों में गाड़ियों की आवाजाही को जो मंजर मैने देखा वो तो अदभुत ही था। यहां सभी गाड़ीवान एक दूसरे को सहयोग करते हुए गाड़ी का परिचालन करते है, इतना ही नहीं वे जाम लगने की स्थिति जो बहुत कम बनती हैं तब भी सहयोग की भावना को बरकरार रखते है,जैसे अगर कोई गाड़ी ऊंचाई से आती दिख रही है तो वह एक दूसरे को सहयोग करके सकरे रास्ते में भी गाड़ी चलाने को आसान बनाते है।अगर जाम लग गया है जो वहां पर स्कूल लगने छूटने या किसी सड़क के काम चलने जैसी स्थिति में लगता है तब गाड़ी बंद करके एक एक गाड़ी के निकलने का इंतजार करते हुए परस्पर सामंजस्य की मिसाल देते है। अगर गाड़ी किसी वजह से बंद हो गई है तो उस गाड़ी को उचित मदद देकर एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाते हैं।एक बात और जोड़ना चाहूंगी यहां पार्किंग की व्यवस्था को देखकर भी आप दांतों तले ऊंगली दबा लेंगे, ये मैं इसलिए कह रही हु क्योंकि मैंने यहां पर हमारे तरह की मल्टीस्टोरी पार्किंग या अन्य तरह की पार्किंग कम देखी पूरे पहाड़ी रास्तों में आप कही भी जाए आपके रास्ते में पूरे में एकदूसरे से ऑलमोस्ट सटी हुई गाडियां पार्क दिखती है और उनको निकालना भी किसी कलाकारी से कम नहीं, मतलब इस तरह की पार्किंग करना और गाड़ी निकालने की कला ने तो मुझे अपना कायल बना लिया।

वैसे तो पहाड़ी क्षेत्र मैदानी क्षेत्रों की तुलना में अनेक असमानताओं के साथ अपना अस्तित्व बनाने में व्यस्त है। वे यहां की विषमताओं के बावजूद अपने आप को एक ऐसे प्रदेश के तौर पर विकसित कर रहे जो आने वाले सैलानियों के लिए जादुई लोक की अवधारणा को पूर्ण करे ।।


शनिवार, 12 अप्रैल 2025

खूबसूरती और मोहिनी शक्ति शिमला




पहाड़ों की रानी शिमला सचमुच में एक अदभुत और आकर्षक सौन्दर्य की छटा बिखेरती नज़र आती हैं। जिस और नज़र जाए वहा आप मोहिनी शक्ति के प्रभाव का अनुभव कर सकते है। मैने अपनी इस जर्नी में कई बार अपने को स्तब्ध पाया विशेषकर जाखू मंदिर में, मॉल रोड पर, घूमते हुए रास्तों पर,पहाड़ीदार मोड़ पर गाड़ियों के परिचालन पर, पार्किंग की कला, पहाड़ों पर बनी इमारतों को देखकर कई बार तो ऐसा लगा जैसे प्रकृति का कोई इंद्रधनुष उजागर हो, एक जगह तो पर्वत के ऊपर जमी बर्फ किसी बर्तन में उबलते दूध की परिकल्पना का एहसास कराती है,रात्रि के समय जब सारा शहर लाइट के साथ प्रकाशवान होता है तो वो ऐसा प्रतीत होता है जैसे आसमान ने तारों को ज़मीन की सैर पर भेज दिया है।

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