Thursday, April 9, 2020

कोरोना काल के सबक


 आजकल हम विश्वबंधुत्व की नयी इबारत लिख रहे हैं. हम विश्व में एक ऐसे माहौल के बीच अपना जीवन बिता रहे,जो सभी के लिए एक चुनौती है.एक ऐसी चुनौती जो किसी विश्व युद्ध या आकस्मिक प्राकृतिक आपदा की वजह से नही,बल्कि एक ऐसे वायरस रुपी दानव की वजह से है, जो अदृश्य होकर भी अपना प्रभाव दिखा रहा है जिसने हम सभी को एक ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा किया जो सभी के लिए कठिनाइयों से भरा है,जहाँ एक ओर यह वायरस अदृश्य होकर सारी मानव जाति के खात्मे की ओर इंगित कर रहा है. वही, नयी चुनौतियों का भी गवाह बना है.जैसे इसके बचाव के लिए सभी को social distencing को ही रामबाण औषधि के रूप में अपनाने का परामर्श दिया जा रहा. जिसने लोगों को अपने घरों की सीमा में बांध दिया. इस के साथ-साथ उन्हें अपने परिवार के साथ जुडकर एक बार फिर संयुक्त परिवार की अवधारणा को समझने का मौका दिया.आज की मशीनी संस्कृति में उन्हें कुछ पल अपने अपनों के साथ बिताने का अवसर दिया है, जिससे वे अपने बचपन को अपने बच्चों के बीच जीके उत्साहित है,अपने परिवार के बीच समय बिताने के अवसर भी सभी को नही मिल रहा कुछ ऐसे योद्धा भी हैं जो इस संकट की घड़ी में अपने परिवारों को छोड़कर इस अदृश्य  दुश्मन से मुकाबले के लिए प्रयासों में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं.ऐसे कुछ क्षेत्र जो इस समय अपना पूरा समय, क्षमता, बुधिमत्ता,समर्पण का परिचय दे रहे. वे हमारे जीवन की सुरक्षा के लिए वैसे ही तत्पर हैं जैसे  देश की सीमाओं पर हमारे सैनिक रहते है. इन में सर्वोपरि हमारे जीवनरक्षक डॉक्टर्स, और सारे स्वास्थ्य विभागों से जुड़े लोग, हमारे प्रशासनिक अधिकारीगण,पुलिसकर्मी, इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग भी नगरनिगम जैसी संस्थाओ के कर्मी, सभी इस विपत्ति की घड़ी में हम सभी को बचाव के लिय प्रेरित कर रहे. वे अपनी सारी पारिवारिक स्थितियों को भूलकर हमें  कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे रहे.
जब हम आज की विषम परिस्थिति के बारे में विचार करने का मन बना चुके तो क्यों ना हम अपने आस पास के कुछ और पहलुओं को भी शामिल करें, मसलन जिस तरह राज्य और केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा कदम उठाते हुए लॉककडाउन के माध्यम से इस के प्रसार को रोकने के प्रयास किये, वो भी सभी को आवश्यक वस्तुओ की उपलब्धता के साथ लागू भी किया.इन सबके  बीच कुछ अन्य बातें भी हम सभी के मन में कौंधी जैसे इस तरह के प्रयास कहाँ तक कारगर है, क्यूंकि देश में हर तरह के व्यवसाय से जुड़े लोग भी है कुछ की रोजीरोटी रोज़ की कमाई पर निर्भर है, तो कुछ की मजदूरी साप्ताहिक भी है, ये तो एक पक्ष ही माना जा सकता है, इसका  दूसरा पक्ष जानवरों की तरफ भी है उन जानवरों पर जो रास्तों पर अपना जीवन बिताते है जिनके लिए रास्तों पर मिल रहे खाने-पीने की चीजें ही आवश्यक है.फिर भले ही वो उन्हें किसी व्यक्ति द्वारा दी जाए  या किसी दुकानों से मिले, पर इस लॉक डाउन की स्थितियों ने इनके लिए भी कई तरह की कठिनाइयाँ ला दी.इस लॉक डाउन ने भीख मांगकर जीवन गुजारने वाले को तो एक विकट स्थिति में लाया,वे भूख और गरीबी से बेहाल है,एक अच्छी बात जो इस स्थिति में नजर आई वो है वातावरण में प्रदूषण स्तर में लगातार हो रहा सुधार आप सोचेंगे इस विषम स्थिति में पर्यावरण  के सुधार के पक्ष का विचार कहाँ तक तर्कसंगत है. पर ये पूर्णतः प्रासंगिक है, आज जब पूरा देश लॉक डाउन की स्थिति में हे तो वाहनों की आवाजाही भी पूर्णतः बाधित हे जिसने पर्यावरण को एक बदले स्वरुप में ला दिया है,जहाँ शुद्ध हवा और आसमान के असली रूप से मिलने का मौका मिला, पक्षियों की चहचहाहट,हम को नयी सुबह की तरह प्रतीत हो रही ऐसे ही रास्तों पर अपना जीवन काटने वाले जीवों और जानवरों को भी यह अजीब अनुभूति दे रहा वे ये नही समझ पा रहे कि उनके शोरगुल और प्रदूषित वातावरण में किसने परिवर्तन ला दिया, उनको केवल उनकी ही प्रजाति दिखाई दे रही, इस का मतलब अब हमे वन्य संरक्षण और चिड़ियाघर में रहने की स्थिति खत्म हुई,अब हम जहाँ चाहे वहां रह पाएंगे क्या मानव ने हमारे लिए इस धरती को छोड़ दिया,अब हम केवल इस सुंदर धरती के निवासियों में बचे है. इन सबके बीच एक विचार और आया जो में आप के साथ बाँटना चाहती हूँ कुछ ऐसे लोग भी है जो हमारे द्वारा अपनी आजीविका चलाते है,जैसे प्रेस करने वाले, दूध वितरण करने वाले, सब्जी बेचनेवाले, मोची,गाड़ी रिपेयर करने वाले फुटपाथ या सबवे पर अपने खोमचे लगाने वाले,रिक्शा चलाने वाले,ऑटो चालक, बस चालक, इनकी तरह के और कई जो इस लॉक डाउन से प्रभावित हो रहे उनके पास कोई और दूसरा उपाय भी नही इस से निष्प्रभावी होने का.वैसे हमने अभी तक इतनी सारी बातें की, पर इसका नाम तो बताया नही,  ये हमारे पडोसी देश चीन की देन मानी जा सकती है उस हिसाब से इसका नाम चीनी भाषा से जुड़ा होना चाहिए था, पर इसे एक नाम को-कोई, रो-रोड पर, ना- ना निकले,ये नाम हमारे प्रधानमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में दिया, आप समझ गये होंगे मैं कोरोना नामक महामारी का जिक्र कर रही हूँ,जिसे तकनीकी भाषा में COVID19 भी कहा जाता है,जो एक वायरस के माध्यम से फ़ैल रही.शुरुआत भले ही चीन से हुई, पर अब इस महामारी का प्रकोप सारे विश्व को अपनी चपेट में ले रहा है.विकसित देश हो या विकासशील सभी अपने सामने आई इस विपदा का हल निकालने के लिए तत्पर है.आज सभी एक दूसरे की हर मुमकिन मदद करने की भावना के साथ इस महामारी को हराने का संकल्प ले चुके. इस संकल्पित प्रतिज्ञा ने हमे मिलकर इस महामारी से लड़ने का बल दिया. जो आज के समय की सबसे बड़ी मांग है......
हम एक विकासशील राष्ट्र होने के नाते उन सभी विकसित देशों को इस लड़ाई में सहयोगी बनाते हुए,पूरे विश्व के साथ इस महामारी को जड़ से खत्म करने की ओर अग्रसर है. अगर विश्व के सारे देश एक भावना के साथ आगे बढ़ते है, तो वो दिन दूर नही जब हम सभी गर्व से कहेंगे कोरोना कभी मत आना कही मत आना........
इस बात को और आगे बढ़ाने से पहले मुझे हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि श्री हरिवंशराय बच्चन जी कि कविता की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही है
“लहरों से डरकर कभी नौका पार नही होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती.
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चदकर गिरना, गिरकर चढना ना अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नही होती
कोशिश करने वालों कि कभी हार नही होती......
  

11 comments:

  1. आलेख अच्छा है।पर कुछ मुद्दों की बात होती तो ज्यादा अच्छा लगता

    ReplyDelete
  2. Bhut acha likha hai aapne..“जो भी परिस्थितियाँ मिलें, काँटे चुभें कलियाँ खिले,

    हारे नहीं इंसान, है संदेश जीवन का यही ।”

    ReplyDelete
  3. विचार बहुत अच्छे है हम सब मिलकर
    इस कठिन परिस्थिति में एक दूसरे का सहयोग करना होगा

    ReplyDelete
  4. Bahut hi sateek aur sahajta se aapne ye sab baatein kahi aur ye hai bhi bilkul sahi hai... Bahut badhiya lekh aur tarksangat...

    ReplyDelete
  5. दृढ़ संकल्प और विश्वास से ही इस
    लड़ाई को हराया जा सकता है
    और जीता जा सकता है
    धर मैं रहो सुरक्षित रहो

    ReplyDelete
  6. Bahut acchi lekh hain, pata nahin aapko kounsi bhasa me tarif karu. Abhi pure biswa me chal rahi kathin Paris stitiyon ko aapne bahut hi saral bhasa me sunder tarike se likha hain. Parkar accha laga.

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. Bilkul sahi likha h aunty... with perfect ending...☺

    ReplyDelete

सुरंजनी पर आपकी राय