सोमवार, 14 जुलाई 2025

ब्लॉकबस्टर फिल्म की तरह है ‘भोपाल टॉकीज’

क्यूँ भाई मियां, भोपाल टॉकीज चल रिये को क्या… ये बात भोपाल वासियों के लिए कोई नई नहीं है। तो चलिए ऑटो में बैठकर भोपाल टॉकीज चलते हैं। आप सोच रहे होंगे कि क्या वाकई में आज भी भोपाल टॉकीज उतनी ही शानोशौकत से खड़ी है, जैसे पहले थी? शायद नहीं, पर फिर भी मैं आपको भोपाल टॉकीज ले जाए बिना नहीं मानूंगी।

आप सोच रहे होंगे कि भोपाल टॉकीज में ऐसा क्या है तो मैं स्पष्ट कर दूं कि मेरा आशय पुराने भोपाल में स्थित थिएटर से नहीं बल्कि हमारे अज़ीज़ संजीव (परसाई) भैया के सपनों की किताब भोपाल टाकीज से है. जिसमें हमें एक फिल्म की भान्ति प्यार, तकरार, इंकार ,इजहार, दोस्ती और चटपटी कहानियों  के साथ साथ एक अलग ही मसालेदार थ्रिलर का अनुभव मिलता है. यह किताब एक सफल और ब्लॉकबस्टर फिल्म की तरह कई पहलुओं को भी छूने की कोशिश है.

जहां एक ओर ये किताब आपको भोपाल की नवाबी विरासत से रूबरू कराती है.वही दूसरी ओर ये हमें भोपाली लहजे के साथ भोपाल के इतिहास के रोचक पहलुओं को भी सामने लाती है. ये किताब रानी कमलापति जैसी बेगमों और बेगम सुल्तान शाहजहाँ के रुतबे को जानने का माध्यम भी है. भोपाल की  पहचान हमी

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